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भारत में राष्ट्रीयता का विकास उन्नीसवी शताब्दी से प्रारम्भ हुआ। भारत की प्राचीन सामाजिक तथा आर्थिक पद्धति की समाप्ति, आधुनिक वाणिज्य और उद्योगों का आरम्भ और नवीन सामाजिक वर्गों ने भारत में राष्ट्रीयता की नींव डाली।
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वेदों के संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास को माना जाता है, वेद समस्त विश्व को बसुध्दैव कुटुंबकम् का उपदेश देता है।
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भारत के अन्य राज्यों की भाँति मध्यप्रदेश राज्य के लोगों ने स्वतन्त्रता आन्दोलन के महासंग्राम में आदिवासी क्रान्तिकारियों ने अपनी महती भूमिका निभाई है।
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प्राचीन काल से आधुनिक काल तक भारत को कई नामों से जाना जाता रहा है। जैसे- भारतखण्ड, जम्बूद्वीप, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान आदि।
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