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भारत देश के प्राचीन नाम एवं देश का नामकरण और इसकी सीमाएँ || Our Country Bharat and its name

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भारत का नामकरण

भारत शब्द से भारतीय उपमहाद्वीप, भारत गणतन्त्र, या वृहत्तर भारत आदि का आशय लिया जाता है। पुराणों के अनुसार नाभिराज के पुत्र भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत चक्रवर्ती सम्राट के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा। वास्तव में 'भारत' शब्द का सबसे पहला उल्लेख पुराणों में ही मिलता है। प्राचीन काल से आधुनिक काल तक भारत को कई नामों से जाना जाता रहा है। जैसे- भारतखण्ड, जम्बूद्वीप, आर्यावर्त, हिन्द, हिन्दुस्तान आदि। प्राचीन समय में भारत के इस विशाल उपमहाद्वीप को 'भारतवर्ष' के नाम से जाना जाता था। ऐसा माना जाता है कि यह नामकरण 'ऋग्वैदिक' काल के प्रमुख जन 'भरत' के नाम से किया गया। भारत जम्मू दीप का दक्षिण भाग था। आर्यों का निवास स्थल होने के कारण इसका नामकरण 'आर्यावर्त' के रूप में हुआ। वायु पुराण के एक अन्य संदर्भ में दुष्यन्त और शकुन्तला के पुत्र 'भरत' का उल्लेख मिलता है। जिसके नाम पर इसका नाम भारत पड़ा।
ब्राह्मण ग्रन्थों के अनुसार यह भू-भाग सरस्वती नदी से प्रयाग, काशी तक फैला था। बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार राजमहल तक फैला हुआ था। इसी क्षेत्र का पश्चिमी भाग 'ब्रह्मऋषि देश' कहलाता है।
भारत के पर्याय के रूप में प्रयुक्त 'इंडिया' शब्द की उत्पत्ति यूनानी शब्द 'इण्डोई' शब्द से मानी जाती है। किंतु कुछ इतिहासकारों का ऐसा भी मानना है कि भारत के इस अंग्रेजी नाम इण्डिया की उत्पत्ति सिन्धु शब्द से हुई है जो यूनानियों द्वारा चौथी सदी ईसा पूर्व से प्रचलन में है।
मध्यकालीन अरबी एवं फारसी इतिहासकारों ने इस देश को 'हिन्दू' और भारत देश को 'हिन्दुस्तान' से संबोधित किया।

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भारत का विस्तार

भौगोलिक दृष्टि से भारतीय विस्तार कश्मीर से लंका की सीमा तक और कश्मीर से असम तक था, जिसके प्रमाण हमें अनेक ग्रन्थों से मिलते हैं।
वर्तमान में भारत के उत्तर- पश्चिम, उत्तर तथा उत्तर-पूर्वी सीमा पर नवीनतम मोड़दार पर्वतों का विस्तार पाया जाता है, जबकि दक्षिण के प्रायद्वीपीय क्षेत्र का विस्तार पाया जाता है। भारत का प्रायद्वीपीय भू-भाग उत्तर में अधिक चौड़ा तथा 22° उत्तरी अक्षांश से दक्षिण की ओर संकरा होता जाता है। भारत का दोनों अक्षांशीय व देशान्तरीय विस्तार लगभग 30 डिग्री है। भारत की मुख्य भूमि उत्तर में लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र (पूर्व में जम्मू कश्मीर) से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पूर्वी में अरुणाचल प्रदेश से लेकर पश्चिम से गुजरात तक फैली हुई है।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
edudurga.com

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