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अगले 4 दिन तक होली चलेगी। संत प्रेमानंद महाराज जी के संदेश की तीन बातें | होलिका दहन का मुहूर्त

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वृन्दावन के संत प्रेमानंद जी महाराज ने इस वर्ष 13 व 14 मार्च की होली पर्व हेतु संदेश दिया है। उन्होंने जो कुछ भी कहा अक्षरशः उनकी वाणी को नीचे पढ़ें―

एक भक्त के द्वारा संत प्रेमानंद जी से पूछा — "महाराज जी जैसे आज वृंदावन की होली शुरू हो गई है और अगले 4 दिन तक होली चलेगी। महाराज जी बहुत सारे युवक युवतियां आपको सुनते हैं तो आज आपका कोई संदेश!" तब महाराज जी ने होलिका दहन की संक्षिप्त कथा सुनाकर युवाओं को शिक्षाएं दी। महाराज जी ने कहा —

"सब भारतवासियों हम तो सबसे यही प्रार्थना करेंगे कि होली महोत्सव प्रहलाद जी के द्वारा प्रकट किया गया है। जब प्रहलाद जी किसी भी प्रकार हिरण्यकश्यपु के मारने से नहीं मरे तो उसकी बहन होलिका थी। उसने हिरण्यकश्यप को उदास देखा उसने कहा, "भैया! उदास क्यों हो?" उन्होंने कहा― "यह प्रह्लाद मर नहीं रहा।" तब होलिका ने कहा― "आज मर जाएगा। लकड़ी का बहुत सारा ढेर लगाया जाए और उसमें लेकर हम प्रहलाद को बैठ जाएंगे, हमें अग्नि से वरदान मिला है। एक शीतल पट जिसको हम ओढ़ लेंगे तो हमारा रोम तक नहीं झुलसेगा और प्रहलाद मर जाएगा।"
तब बड़ा प्रसन्न हुआ हिरण्यकश्यपु। उसने बहुत लकड़ी का पहाड़ लगाया उसमें प्रह्लाद जी को लेकर उनकी बहन बैठ गई। वह प्रह्लाद जी की बुआ थी और हिरण्यकश्यप की बहन। अब आग लगा दी गई तो भगवान की कृपा से ऐसी वायु चली और शीतल पट प्रहलाद जी के ऊपर आ गया और वह होलिका जलकर राख हो गई। जितने भी लोग प्रहलाद पक्ष के थे सुबह वहां जब गए तो देखा प्रह्लाद जी बैठे हुए हैं। बड़े आनंदित होकर लोगों ने ढोल, मंजीरा से कीर्तन करके होली की पूजा की और आपस में गुलाल रंग लगाकर खेलते रहे, नाम कीर्तन कर रहे, पद गा रहे हैं, कि प्रह्लाद जी भगवान की भक्ति से बच गए। तो इस तरह उत्सव मनाया जा रहा है।"

आज की युवा पीढ़ी के लिए महाराज जी का संदेश

"जो लोग जो शराब पीते हैं, गंदी हरकतें करते हैं, एक दूसरे के चेहरे पर कालिक पोतते हैं, नालियों में लोलते हैं, ऐसे लोग हिरण्यकश्यप पक्ष के हैं। दूसरी होती है साधुता की पार्टी। एक दूसरे पर गुलाल लगाए, राम, कृष्ण, हरि बोले और बैठकर पद गायन करें और खूब गुजिया और मिठाई का भोग ठाकुर जी को लगाये और बाद में खुद पाये, ऐसे आनंद से मनाए होली त्यौहार।"

देशवासियों को संदेश

"हमारे समस्त देशवासियों से प्रार्थना है कोई भी व्यसन न किया जाए। व्यसन उत्सव को खराब कर देता है। जैसे शराब है और भी हुक्का है, ड्रग्स है। कोई भी नशा मत करो। तरो-ताजा मन से भगवान का नाम जप करते हुए, पद गायन करते हुए होली का आनंद लो। नशे में होली का आनंद थोड़े न होता है। नशे में तो मूढ़ता छा जाती है। मूढ़ता में आनंद कहां? तो कोई भी नशा इस होली उत्सव में न किया जाए और हम आनंद पूर्वक भाईचारा बनाते हुए एक दूसरे का सम्मान करें, प्यार करें। जो हमसे दुश्मनी मानते हैं होली के दिन हम उनके भी घर जाएं और उनके गुलाल लगावे और उनसे से प्रेंम करें। हमारा एक भी दुश्मन विश्व में न हो, यही सबसे बड़ी हमारी प्रार्थना है। हमारे आचरण पवित्र हो, हमारा व्यवहार पवित्र हो, हमारा चिंतन पवित्र हो तो होली सार्थक है। नहीं तो कितने लोग नशा करके झगड़ा कर लेते हैं, कितने लोग अपनी हानि कर लेते हैं। अच्छा देखो हमारी आंख कितनी कीमती वस्तु है, अगर किसी की आंख में दृष्टि की कमी आ जाए या चोट लग जाए तो अनर्थ हो जाता है। लोग गुलाल तो गुलाल, कीचड़ फेंकते हैं, कपड़ा फाड़ देते हैं, शराब पिये उदंडता करते हैं। ये सब ठीक नहीं है। ऐसा होली उत्सव नहीं मनाएं। जो सभ्यता के खिलाफ हो, समाज के खिलाफ हो, हमारे धर्म के खिलाफ हो, अध्यात्म के खिलाफ हो, ऐसा कोई कार्य नहीं करें।"

होली में ध्यान रखने योग्य तीन बातें

"सबसे पहली बात है कि शराब न पिये। जो शराब पीते हैं वे होली उत्सव में शराब स्वाहा कर छोड़ दें। दूसरी खास बात है मांस न खायें, क्योंकि आप भले जीव हत्या नहीं करते लेकिन आप हिस्सेदार तो बनते ही है। कैसे? जब आप खरीद के लाते हो और खाते हो तो क्या आप अहिंसक माने जाओगे, नहीं! तीसरी बात किसी माता बहन के तरफ गंदी दृष्टि मत देखो। जैसे तुम्हारी बहन वैसे दूसरे की बहन। तो आप पवित्र ब्रह्मचर्य से रहिए और जो अपनी पत्नी है उसी पर अनुराग कीजिए।
ये तीन बातें छोड़ने की कोशिश कीजिए― शराब, मांस और व्यभिचार।"

उक्त संत प्रेमचंद जी महाराज की वाणी निम्न विडियो से ली गई है। अधिक जानकारी के लिए निम्न वीडियो देखें:

होलिका दहन का मुहूर्त

फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के अगले दिन होली का त्यौहार धुरेड़ी मनाया जाता है यह पर्व भारतवर्ष में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन किया जाता है।

पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ— फाल्गुन पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 13 मार्च 2025 दिन गुरुवार सुबह 10:37 से होगा।

पूर्णिमा तिथि की जो समाप्ति― पूर्णिमा तिथि की जो समाप्ति 14 मार्च 2025 दिन शुक्रवार दोपहर 12:20 पर होगी।

भद्रा की स्थिति — 13 मार्च को सुबह 10:38 से शुरू होकर के रात्रि 11:30 तक भद्रा का समय होगा। टीप— अतः भद्रा दौरान होलिका दहन नहीं करना चाहिए।

होली का दहन का विशेष मुहूर्त— 13 मार्च 2025 गुरुवार के दिन रात्रि 11:30 से लेकर के रात्रि 12:30 तक के लिए 1 घंटे का समय होगा।

व्रत पूर्णिमा— 13 मार्च को व्रत की पूर्णिमा होगी इस दिन जो भी पूर्णिमा का व्रत धारण करने वाले हैं तो इस दिन व्रत को धारण करें और 14 मार्च को स्नान दान कर सकते हैं।

होली-धुरेड़ी का त्यौहार— पूर्णिमा के बाद प्रतिपदा को धुरेड़ी का त्यौहार मनाया जाता है। अतः 14 मार्च को होली-धुरेड़ी का त्यौहार मनाया जाएगा। प्रतिपदा तिथि 15 मार्च दिन शनिवार दोपहर 2:30 तक प्रति पदा तिथि तक रहेगी। अतएव 15 मार्च को दोपहर 2 बजे से पहले होली का त्यौहार मना सकते हैं।

होलिका दहन मुहुर्त से संबंधित जानकारी निम्न वीडियो से ली गई है। अधिक जानकारी के लिए निम्न विडियो को देखें :

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
edudurga.com

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