उल्का (Meteors)- कभी-कभी रात के समय आकाश में कोई चमकता बिंदु चमकीली रेखा खींचता हुआ गायब हो जाता है।ऐसी स्थिति को सामान्यतः तारा टूटना कहा जाता है।किंतु तारे तो कभी टूटते ही नहीं हैं।टूट कर गिरने वाले यह पिंड तारे नहीं बल्कि उल्काएं होते हैं।ये अत्यधिक तेज गति से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं और हवा से घर्षण (रगड़) खाकर जल उठते हैं।उनका इस प्रकार जलना ही हमें टूटता हुआ तारा जैसा दिखाई देता है।ये उल्काएं भी सौर परिवार के सदस्य माने जाते हैं।
Meteors- Sometimes a shining point in the night sky disappears by drawing a bright line. Such a situation is usually called star break But stars never break.These falling bodies are not stars but meteors.They enter the Earth's atmosphere at a very high speed and friction (rubbing) with the air are eaten by water.Their burning in this way makes us look like a collapsing star.These meteors are also considered members of the solar family.
उल्कापिंड (Meteorites)- आसमान से गिरी हुई सभी उल्काएं धरती तक नहीं पहुंच पाती हैं।उनमें से अधिकांश उल्काएं रास्ते में ही हवा की रगड़ से जलकर बर्बाद हो जाती हैं अथवा भाप और धूल में परिवर्तित हो जाती हैं,लेकिन जब कोई उल्का पूरी तरह नहीं चल पाती और धरती पर गिर जाती हैं तो उसके अवशेष को 'उल्कापिंड' (Meteorites) कहा जाता है।
Meteorites- Not all meteors that fall from the sky reach the earth.Most of them get destroyed by the rubbing of the wind on the way Or they become steam and dust, but when a meteor is not completely moving and falls on the earth, then its remains are called 'Meteorites' is called.
पृथ्वी पर उल्कापिंडों का प्रभाव- जिस स्थान पर ये उल्काएं पृथ्वी पर गिरते हैं तो वहांँ पर कई सारे परिवर्तन हो जाते हैं।चंद्रमा,मंगल और बुध ग्रहों पर उल्कापिंडों के गिरने से ही गड्ढे(Creaters) बन गए हैं।पृथ्वी पर सबसे बड़ा गड्ढा जो की उत्तरी एरिजोना में है शायद उल्का पिंड के टकराने से ही इसका निर्माण हुआ है।1265 मीटर व्यास के इस क्रेटर की गहराई 175 मीटर है।ऐसा अनुमान है कि प्रतिदिवस साढे सात उल्कांए पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करती हैं।इनकी गति 35-95 किलोमीटर प्रति सेकंड पाई गई है।एक सामान्य उल्का को भाप बनने में लगभग एक सेकंड का समय लगता है।प्रत्येक वर्ष लगभग 500 उल्कापिंड पृथ्वी की सतह पर आ गिरते हैं। सबसे बड़ा उल्कापिंड दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका में ग्रुटफाण्टीन के निकट होबा वेस्ट में सन् 1920 में देखा गया था। इस उल्कापिंड का वजन 60,000 किलो ग्राम है।यह प्रागैतिहासिक काल में कभी पृथ्वी की सतह पर गिरा था।
Effect of Meteorites on Earth- The place where these meteors fall on Earth, there are many changes there. On the Moon, Mars and Mercury planets,the creaters have been formed due to the fall of meteorites.The largest creaters on Earth, which is in northern Arizona, was probably formed due to the collision of the meteorite.The depth of this creater of 1265 meters in diameter is 175 meters.Such an estimate It is estimated that seven and a half meteors enter the Earth's atmosphere every day.Their speed has been found to be 35-95 kilometers per second.It takes about a second for a normal meteor to vaporize.Each year about 500 meteorites fall on the surface of the earth.The largest meteorite was observed in 1920 at Hoba West near Grutfantein in South-West Africa.This meteorite weighs 60,000 kg.It fell on the earth's surface sometime in prehistoric times.
I hope the above information will be useful and
important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण
होगी।)
Thank you.
R F Temre
edudurga.com
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