कई बार यह देखा जाता है कि उपभोक्ताओं को बाजार में उचित वस्तुएँ उचित कीमत पर व अन्य सेवाएँ प्राप्त नहीं होती हैं। उपभोक्ताओं से बहुत ज्यादा कीमत ले ली जाती है या फिर वस्तुओं को मिलावट करके उत्पादक द्वारा विक्रय किया जाता है। अतः यह जरूरी है कि उपभोक्ताओं को पूर्णतः जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे किसी भी प्रकार से ठगें ना।
Many times it is seen that consumers do not get proper goods and other services in the market at reasonable prices. A high price is charged from the consumers or the goods are adulterated and sold by the producer. Therefore, it is necessary that the consumers should be made fully aware so that they do not cheat in any way.
उपभोक्ता एवं उत्पादक को एक ही सिक्के के दो पहलू माना जाता है। उत्पादक वस्तुओं का उत्पादन करके बेचता है जबकि उपभोक्ता उन वस्तुओं को खरीद कर उपभोग करता है। अर्थात उपभोक्ता बाजार से सामान खरीदता है एवं उत्पादक अपनी वस्तुएँ बेचता है।
Consumer and producer are considered as two sides of the same coin. producer produces and sells goods while consumer buys and consumes those goods. That is, the consumer buys goods from the market and the producer sells his goods.
प्रत्येक उत्पादक का उद्देश्य अपने लाभ को अधिक से अधिक बढ़ाना होता है। उत्पादक प्रत्येक स्थिति में अपने उत्पाद की बिक्री को बढ़ाने हेतु कार्यरत होते हैं। अतः अपने उद्देश्यों की पूर्ति करते हुए उत्पादक उपभोक्ताओं के पक्ष को भूल जाते हैं और उनका शोषण करते रहते हैं। जैसे- वस्तुओं की तौल कम करना, ज्यादा से ज्यादा कीमत वसूलना , गुमराह करना आदि। इस हेतु उपभोक्ताओं को बाजार में भ्रमित न हो सके, उन्हें जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है। अतः उपभोक्ता जागरूकता से तात्पर्य उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने से है ताकि वे उचित मूल्य में उचित सामान खरीद पाएं।।
The aim of every producer is to maximize his profit. Producers are working in every situation to increase the sales of their product. Therefore, while fulfilling their objectives, the producers forget the side of the consumers and keep on exploiting them. eg- reducing the weight of goods, charging maximum price, misleading etc. For this, it is very important to make the consumers aware so that they do not get confused in the market. Therefore, consumer awareness refers to making consumers aware of their rights and duties so that they can buy the right goods at reasonable prices.
उपभोक्ता जागरूकता की महती आवश्यकता (The need for consumer awareness)-
जागरूकता हेतु अति महत्वपूर्ण बातें (very important things for awareness)
1. संतुष्टि प्राप्त करना- प्रत्येक व्यक्ति की आय सीमित होती है। वह अपनी आय के अनुसार ही वस्तुओं को खरीदता है। इस प्रकार उपभोक्ता को पूर्ण संतुष्टि प्राप्त होती है। वस्तु सही माप तोल से ही मिले और उपभोक्ता के साथ किसी भी प्रकार की कोई धोखाधड़ी न हो पाए इसके लिए उसे जागरूक करना अति आवश्यक है।
1. Getting Satisfaction- Everyone's income is limited. He buys things according to his income. In this way the consumer gets complete satisfaction. It is very important to make the item aware of the correct measurement and weight and so that there is no fraud of any kind with the consumer.
2. शोषण से बचाव- कम तौलना, ज्यादा कीमत लेना, बिल ना देना, वस्तु में मिलावटी करना, सही वस्तुओं को ना देना, विज्ञापनों से उपभोक्ताओं को गुमराह करना। इस प्रकार के बुरे शोषण से बचाव हेतु जागरूकता बहुत जरूरी हो गया है।
2. Avoidance of exploitation- weighing less, charging more, not paying bills, adulterating the goods, not giving the right goods, misleading the consumers with advertisements. Awareness has become very important to prevent this type of bad exploitation.
3. हानिकारक वस्तुओं के उपयोग पर रोक - बाजार में ऐसी कई वस्तुएं उपलब्ध होती हैं जिससे हानि होना तय है। जैसे- तंबाकू , नस, बीड़ी, सिगरेट, शराब आदि। उपभोक्ता शिक्षा एवं जागरूकता ऐसी हानिकारक वस्तुएं ना खरीदने की शिक्षा देती है। ऐसा करने से हम पूरी तरह से स्वस्थ एवं संतुष्ट रहकर सफल जीवन जीने में कामयाब रहते हैं।
3. Prohibition on the use of harmful goods - There are many such items available in the market, which are sure to cause harm. Like- tobacco, vein, bidi, cigarette, alcohol etc. Consumer education and awareness teaches not to buy such harmful items. By doing this, we are able to live a successful life by staying completely healthy and satisfied.
4. बचत की जानकारी- उपभोक्ता जागरूकता व्यक्तियों को फिजूल खर्चे न करने की शिक्षा देता है और सही फैसले लेने की भी जानकारी देता है। ऐसा करने से उपभोक्ता किसी लालच में नहीं आते हैं एवं अपने आय का उचित उपयोग करने और अधिक बचत करने में पूरी तरह सफल होते हैं।
4. Saving information- Consumer awareness educates individuals not to wasteful expenditure and also gives information about taking right decisions. By doing this, consumers do not fall under any greed and are completely successful in making proper use of their income and saving more.
5. समस्या के समाधान की जानकारी- अज्ञानता एवं जानकारी की कमी के कारण उपभोक्ता अक्सर धोखाधड़ी का शिकार बन जाता है। अतः आवश्यकता इस बात की है कि उपभोक्ताओं को कानूनी प्रक्रिया से भी अवगत होना चाहिए ,जिससे वे अपनी समस्याओं को स्वयं हल करने में सक्षम रहें।
5. Knowledge of problem solving- Due to ignorance and lack of knowledge, consumer often becomes a victim of fraud. Hence the need is that consumers should be aware of the legal process as well, so that they are able to solve their problems on their own.
उपभोक्ता शोषण के प्रकार (Types of consumer exploitation)-
1. ऊँची कीमतों से प्रायः दुकानदार निर्धारित कीमत से अधिक कीमत ले लेते हैं और अगर हम इस बारे में दुकानदार से बात करते हैं, तब वे कई कारणों को बता देते हैं।
2. सही गुणवत्ता का न होना भी एक प्रकार का शोषण ही है। जैसे- घटिया किस्म का सामान, कई वस्तुओं की अंतिम तिथि का निकल जाना । इस तरह से उपभोक्ता ठगकर शोषित हो जाता है।
3. मिलावट एवं अशुद्धता के कारण उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य संबंधित हानिकारक समस्याओं से गुजरना पड़ता।
4. गलत एवं अधूरी जानकारी से भी ग्राहक सही वस्तु का चयन नहीं कर पाता और अंत में वह फंसकर अपना पैसा बेकार कर देता है। और बेहद परेशान होता रहता है।
5. माप- तौल में गड़बड़ी से भी कई बार विक्रेता अपना लाभ देखते हैं एवं ग्राहकों को लूटते रहते हैं । जैसे वजन का कम करना बाँट का सही उपयोग न करना तराजू के पलड़े का सही उपयोग न करना चुंबक आदि को लगा देना आदि।
6. बुरा व्यवहार एवं अनावश्यक शर्तों से भी उपभोक्ता भ्रमित हो जाता है। अनावश्यक शर्तें लगाकर उपभोक्ताओं को परेशान किया जाता है एवं दुर्व्यवहार से भी वह अपने आप को बेबसी में डाल देता है।
1. Due to high prices, shopkeepers usually charge more than the prescribed price and if we talk to the shopkeeper about this, then they tell many reasons.
2. Not having the right quality is also a kind of exploitation. For example, poor quality goods, the expiry of the last date of many items. In this way the consumer gets cheated and exploited.
3. Due to adulteration and impurity, consumers had to go through harmful health related problems.
4. Even with wrong and incomplete information, the customer is not able to choose the right item and in the end he gets trapped and wastes his money. And keeps getting very upset.
5. Many times sellers see their profit even due to error in measurement and keep robbing the customers. Like reducing weight, not using the weight properly, not using the scale of the scale properly, applying magnet etc.
6. Bad behavior and unnecessary terms also confuse the consumer. Consumers are harassed by imposing unnecessary conditions and even by misbehavior he puts himself in helplessness.
उपभोक्ता शोषण का निदान-
1. आई. एस. आई.,एगमार्क एवं हॉलमार्क वाले चिन्हों की वस्तुएं ही खरीदें। यही वस्तुएं मानकीकृत होती हैं।
2. किसी वस्तु को खरीदने के समय ही उसका कैश मेमो या रसीद लेना बहुत जरूरी होता है। ऐसा करने से खराब या घटिया वस्तु होने से हम कानूनी कार्यवाही कर सकते हैं।
4. हमें कभी भी विज्ञापनों के बहकावे में नहीं आना चाहिए ,अक्सर बड़ी-बड़ी कंपनियां आकर्षक विज्ञापन बताते हैं और उपभोक्ता पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालते हैं। जिससे ग्राहक खरीदने हेतु तत्पर हो जाते हैं। इन सब से हमें सावधान रहना चाहिए। एवं चीजों को खरीदने से पहले सही गुणवत्ता एवं मूल्य आदि की पूरी जांच कर लेनी चाहिए।
5. सामूहिक रूप से शिकायत करना चाहिए। अर्थात अकेला उपभोक्ता विक्रेता के खिलाफ ज्यादा कुछ नहीं कर पाता। लेकिन यदि सामूहिक तौर से शिकायत करते हैं तो वह ज्यादा से ज्यादा प्रभावी होगा एवं उत्पादकों में भी सुधार होगा।
1. Ice. Buy only items with I., Agmark and Hallmarked marks. These things are standardized.
2. It is very important to take cash memo or receipt of any item at the time of purchase. By doing this, we can take legal action for being a bad or substandard item.
4. We should never fall under the guise of advertisements, often big companies tell attractive advertisements and have a psychological effect on the consumer. Which makes customers ready to buy. We should be careful with all this. And before buying things, the right quality and price etc. should be thoroughly checked.
5. Complaint must be made collectively. That is, the consumer alone cannot do much against the seller. But if we complain collectively then it will be more and more effective and the producers will also improve.
उपभोक्ता आंदोलन (Consumer movement)-
इसकी शुरुआत का प्रमुख कारण उपभोक्ताओं में संतुष्टि का न होना है। सन् 1955, में 'आवश्यक वस्तु अधिनियम' पारित किया गया यह अधिनियम विभिन्न प्रकार की समस्याओं जैसे खाद्य पदार्थों की कमी, जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट जैसी समस्याओं से निपटने हेतु किया गया है। इसके पश्चात वस्तुओं की माप तौल को व्यवस्थित करने हेतु सन् 1976 में बाँट एवं माप मानक अधिनियम पारित किया गया।
The main reason for its introduction is the lack of satisfaction among the consumers. In 1955, the 'Essential Commodities Act' was passed, this act has been done to deal with problems like shortage of food items, hoarding, black marketing, adulteration. After this, the Weight and Measurement Standards Act was passed in 1976 to regulate the measurement and weight of commodities.
इसके बाद सन् 1986 में भारत सरकार द्वारा 'उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम' पारित किया गया। यह अधिनियम 'कोपरा' (COPRA) के नाम से जाना जाता है, इसका मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं की शिकायतों को दूर करना एवं कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाना है।उपभोक्ता अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने के लिए विभिन्न स्तरों पर जागृति शिविरों का भी आयोजन किया जाता है। 24 दिसंबर को भारत में 'राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
After this in 1986, the Government of India passed the 'Consumer Protection Act'. This act is known as 'COPRA' (COPRA), its main objective is to redress consumer complaints and simplify the legal process. Awareness camps are also organized at various levels to bring awareness about consumer rights. 24th December is celebrated as 'National Consumer Day' in India.
उपभोक्ता के अधिकार (Consumer rights)-
1. सुरक्षा का अधिकार।
2. वस्तुओं और सेवाओं की उचित एवं पूर्ण जानकारी का अधिकार।
3. किसी वस्तु को सही रूप में चयन करने का पूर्ण अधिकार।
4. उपभोक्ता को क्षतिपूर्ति निवारण का पूर्ण अधिकार।
5. वस्तुओं को सही से देख परख कर क्रय करने का अधिकार।
1. Right to Security.
2. Right to fair and complete information about goods and services.
3. Full right to choose something as right.
4. Full right of consumer to redress compensation.
5. The right to purchase the goods after seeing them properly.
उपभोक्ता के कर्तव्य (Consumer duties)-
1. बिल, रसीद ,कार्ड आदि लेना एवं उन्हें संभाल कर रखना।
2. किसी वस्तु की पूर्ति के अनुसार ही उपभोग में वृद्धि करना या कमी।
3. उपभोक्ता संरक्षक नियमों की पूर्ण जानकारी का होना।
4. वास्तविक समस्या की शिकायत करना एवं ठगने से बचना।
5. कालाबाजारी एवं तस्करी को बढ़ावा न देना।
1. Taking and keeping bills, receipts, cards etc.
2. Increase or decrease in consumption according to the supply of a commodity.
3. Having complete knowledge of consumer protection rules.
4. To complain about the real problem and avoid being duped.
5. Do not encourage black marketing and smuggling.
I hope the above information will be useful and
important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण
होगी।)
Thank you.
R F Temre
edudurga.com
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