'स्रोत-भाषा' और 'लक्ष्य-भाषा' क्या होती है, इस बारे में जानने से पूर्व शब्द 'स्रोत' एवं 'लक्ष्य' का क्या अर्थ है यह जानना आवश्यक है। यदि हम इन शब्दों का अर्थ जान लें तो 'स्रोत-भाषा' और 'लक्ष्य-भाषा' को समझने में काफी आसानी होगी।
'स्रोत' का अर्थ- 'स्रोत' शब्द का आशय है वह साधन या स्थल जहाँ से हमें कोई सामग्री या जानकारी प्राप्त हो। अब हम 'स्रोत-भाषा' की बात करें तो आशय होगा - ऐसी भाषा जिसमें जानकारी उपलब्ध हो।
'लक्ष्य' का अर्थ - लक्ष्य का अर्थ होता है 'उद्देश्य' अर्थात वह बात, जानकारी या वस्तु जिसे प्राप्त करना उद्देश्य हो। या हम यह भी कह सकते हैं कि वह कार्य या बात जिसकी सिद्धि हमारे लिए अभीष्ट हो और उसकी पूर्ति के लिए उस पर दृष्टि या ध्यान केंद्रित किया जाए। इस तरह 'लक्ष्य-भाषा' का आशय होगा ऐसी भाषा जिसमें जानकारी प्राप्त करना उद्देश्य हो। 'स्रोत' और 'लक्ष्य' शब्दों का अर्थ जानने के पश्चात जानते हैं- स्रोत भाषा क्या है?
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'स्रोत-भाषा' वह भाषा होती है जिसमें कोई जानकारी या ज्ञान मौलिक रूप में वर्णित हो या उस भाषा में जानकारी उपलब्ध हो। जब कभी भाषा में वर्णित बात को समझना कठिन हो या अन्य भाषाओं के माध्यम से जन-जन तक उस ज्ञान या जानकारी को पहुँचाना उद्देश्य हो, तब उस आवश्यकता की पूर्ति के लिए जानकारी को दूसरी भाषा में अनुवाद करने की आवश्यकता होती है, तब हम मूल रूप से जिस भाषा में जानकारी उपलब्ध है उस भाषा को 'स्रोत-भाषा' कहते हैं।
इस तरह सीधा-सीधा कहा जाए तो किसी जानकारी को सरलता से समझने के लिए अन्य सरल भाषा में अनुवाद करना पड़े अर्थात कही गई बात को दूसरी भाषा में अनुदित करना हो तो जिस भाषा से जानकारियाँ या ज्ञान अनुदित होता है, उस भाषा को 'स्रोत-भाषा' कहते हैं।
उदाहरण- महाकवि कालिदास द्वारा लिखित नाटक और रचनाएँ संस्कृत भाषा में उपलब्ध हैं। अतः कालिदास जी की रचनाओं के लिए 'स्रोत-भाषा' संस्कृत होगी।
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जैसा कि ऊपर 'स्रोत-भाषा' के संदर्भ में जानकारी दी गई है कि किसी भाषा में दिए गए ज्ञान को सरलता से समझने के लिए या उस जानकारी को जन-जन तक पहुँचाने के लिए अन्य सरल भाषा में अनुवाद किया जाता है। ज्ञान या जानकारी का जिस भाषा में अनुवाद होता है उस भाषा को 'लक्ष्य-भाषा' कहा जाता है। उदाहरण - कालिदास द्वारा रचित ग्रन्थ या रचनाओं को समझने या जन-जन तक पहुँचाने के लिए हिन्दी, अंग्रेजी या अन्य भाषाओं में जब अनुवाद किया गया है तब जिन भाषाओं में अनुवाद हुआ है वे सभी 'लक्ष्य-भाषाएँ' होंगी।
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स्रोत भाषा एवं लक्ष्य भाषा की आवश्यकता अधिकतर अनुवाद के संदर्भ में किया जाता है। जब किसी एक भाषा का अन्य भाषा में अपना कथन प्रयुक्त करना हो अर्थात एक भाषा के कथन को किसी दूसरी भाषा के कथन में बदलना हो तो यह अनुवाद कहलाता है। अतः अनुवाद से तात्पर्य है, एक भाषा में कही गई बात को दूसरी भाषा में इस तरह कहा जाए जिससे कि पहली भाषा का भाव पूर्णतः स्पष्ट हो सके।
उदाहरणार्थ - यदि अंग्रेजी भाषा में कही गई किसी बात को हिन्दी में इस तरह प्रस्तुत किया जाए जिससे कि दोनों का अर्थ एक ही हो अर्थात दोनों का भाव एवं उद्देश्य एक ही हो।
जैसे- Kalidas is a great poet.
को हिंदी में अनुवाद होगा
"कालीदास एक महान कवि हैं"
इस तरह कहा जाएगा।
अनुवाद के संदर्भ में कम से कम दो भाषाओं का होना अनिवार्य होता है। इसमें एक भाषा 'स्रोत भाषा' एवं दूसरी भाषा 'लक्ष्य भाषा' होती है।स्रोत भाषा को मूल भाषा एवं लक्ष्य भाषा को अन्य भाषा भी कहते हैं।
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(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण
होगी।)
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R F Temre
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