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हमारा पर्यावरण - सामाजिक एवं प्राकृतिक पर्यावरण || जैविक एवं अजैविक घटक || प्रदूषण कारक एवं ग्लोबल वार्मिंग

   2031   Copy    Share

प्रश्न (1) पर्यावरण किसे कहते हैं?
उत्तर - पर्यावरण - परि (आस-पास) + आवरण (घेरे हुए)। वह आवरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है या हमारे चारों ओर का वह वातावरण या परिवेश जिसमें हम रहते हैं, पर्यावरण कहलाता है।

प्रश्न (2) - पर्यावरण के घटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर - पर्यावरण के घटक पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश को पर्यावरण के प्रमुख घटक माना गया है।
टीप - प्रतिवर्ष 5 जून को हम विश्व पर्यावरण दिवस मनाकर पर्यावरण सुरक्षा का संकल्प लेते हैं।

प्रश्न (3) - पर्यावरण को कितने भागों कितने भागों में बाँटा प्रकार गया है?
उत्तर - पराविरण को दो भागों में बाँटा गया है।
[1] सामाजिक पर्यावरण - माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी, चाचा-चाची, दुकानदार, मित्र, किसान, शिक्षक आदि से मिलकर हमारा समाज बना है। और समाज में रहन-सहन का ढंग, विवाह, उत्सव, खेलकूद, मेले आदि का आयोजन सामाजिक गतिविधियाँ कहलाती हैं। यहाँ गतिविधियाँ एवं सामाजिक आयोजन आपसी मेलजोल और भाई चारे को बढ़ाते हैं। स्वस्थ सामाजिक पर्यावरण को बनाए रखने के लिए निम्न कारकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है-
(१) शांति
(२) भाईचारा और आपसी सामंजस्य।
(३) पड़ोसी धर्म
(४) सार्वजनिक सम्पत्ति की सुरक्षा।

[2] प्राकृतिक पर्यावरण - हवा, पानी, सूर्य का प्रकाश, मिट्टी आदि हमारे चारों ओर के प्राकृतिक पर्यावरण को निर्मित करते हैं, क्योंकि सभी हमें प्रकृति से प्राप्त होते हैं अथवा हमारे आसपास उपस्थित वे समस्त वस्तुएँ जो प्रकृति से प्राप्त होती हैं, प्राकृतिक पर्यावरण कहलाता हैं।

प्रश्न (4) - प्राकृतिक पर्यावरण के घटक कौन-कौन से हैं?
उत्तर - प्राकृतिक पर्यावरण के दो घटक हैं - (1) जैविक घटक (2) अजैविक घटक (1) जैविक घटक - प्रकृति के वे घटक जिनमें जीवन है, जैविक घटक कहलाते हैं।
जैसे- पशु-पक्षी, जन्तु, पेड़-पौधे सूक्ष्मजीव आदि।
जैविक घटक
[क] जन्तु
[ख] वनस्पति
[ग] सूक्ष्म जीव

(2) अजैविक घटक - प्रकृति के वे घटक जिनमें जीवन नहीं हैं, किन्तु जीवन को आधार प्रदान करते हैं, अजैविक घटक कहलाते हैं।
निम्न अजैविक घटक हैं।
[क] पृथ्वी
(i) मैदान
(ii) पठार
(iii) पर्वत
(iv) खनिज
[ख] जल
(i) समुद्र
(ii) नदी
(iii) तालाब
(iv) झरने
(v) वाष्प
(vi) हिम
(vii) नमी
(viii) वर्षा
[ग] वायु
(i) ऑक्सीजन
(ii) नाइट्रोजन
(iii) कार्बन डाइऑक्साइड एवं
(iv) विभिन्न गैसों का संमिश्रण
[घ] आकाश
(i) सूर्य
(ii) चंद्रमा
(iii) तारे
(iv) ग्रह
(v) नक्षत्र
उक्त घटक मुख्य रूप से पाँच तत्वों से मिलकर बने हैं - पृथ्वी, अग्नि, आकाश, जल एवं वायु।

प्रश्न (5) - प्राकृतिक संसाधन क्या हैं? उनके संघटन में उपस्थित गैसों का पर्यावरणीय महत्व को समझाइए।
उत्तर - प्रकृति द्वारा प्रदत वे वस्तुएँ जो हमारे जीवन के लिए उपयोगी एवं आवश्यक होती है, प्राकृतिक संसाधन कहलाती हैं।

प्राकृतिक संसाधन के बारे में जानिए -
प्राकृतिक संसाधन -
वायु, जल, सूर्य का प्रकाश भूमि हैं।
[A] वायु - यह हमारे चारों ओर फैली हुई है, जिसे वायुमण्डल कहते हैं।
संघटन में उपस्थित गैसों का पर्यावरणीय महत्व -
(१) ऑक्सीजन - वायु में उपस्थित ऑक्सीजन हमारे श्वसन के लिए आवश्यक है।
(२) नाइड्रोजन - यह पेड़-पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक है।
(३) कार्बन डाइ ऑक्साइड - वायु में उपस्थित कार्बन डाई-आक्साइड का उपयोग पेड़-पौधे अपना भोजन बनाने में करते हैं।
(४) अन्य गैसें - आर्गन, कबिनडाई ऑक्साइड, जलवाष्प।

वायु में गैसों का अनुपात
नाइट्रोजन - 78%
ऑक्सीजन - 21%
अन्य गैसें - आर्गन, कार्बन डाईआक्साइड, जल-वाष्प आदि - 1%

[B] जल - जल जीवन का महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। हमारी पृथ्वी में तीन-चौथाई जल है। पृथ्वी पर लगभग 70% जल एवं 30% जमीन है, किन्तु पीने योग्य जल अत्यधिक कम मात्रा में है। पृथ्वी पर जल का सबसे बड़ा स्रोत समुद्र है। इसके अलावा नदी, तालाब, झील कुँए आदि के अलावा अन्य जल स्त्रोत भी हैं। जल तीन अवस्थाओं मे पाया जाता है - ठोस, द्रवगैस। इन अवस्थाओं के एक-दूसरे में परिवर्तित होने में तापमान का मुख्य भूमिका होती है। तापमान कम होने पर जल ठोस अवस्था में रहता है। तापमान में वृद्धि होने से ठोस द्रव अवस्था (जल) में परिवर्तित होता है। अत्याधिक गर्म होने पर द्रव गैस अवस्था (वाष्प) में बदल जाता है। प्रकृति में जल की अवस्थाओं में यह परिवर्तन लगातार चलता रहता है। सूर्य ऊष्मा जल से वाष्प बनाकर बादलों का निर्माण करती है जो वर्षा के समय पुन: पृथ्वी पर आ जाती हैऔर इसका उपयोग पेड़-पौधे जीव जन्तु करते हैं। जल की अवस्थाओं का प्रकृति इस प्रकार का परिवर्तन जल-चक्र कहलाता है। प्रकृति में जल चक्र चलते रहने से वर्षा होना प्राकृतिक प्रक्रिया है किंतु जब जल में अनावश्यक हानिकारक पदार्थ मिल जाते हैं तो वह प्रदूषित हो जाता है। प्रदूषित जल पीने से पेचिश, डायरिया, पीलिया जैसे रोग हो सकते हैं।

[C] सूर्य का प्रकाश - सूर्य ब्रह्माण्ड में स्थित एक महत्वपूर्ण तारा है, जो ऊर्जा का प्रमुख स्त्रोत है। इससे प्राप्त, होने वाली ऊर्जा को सौर ऊर्जा कहते हैं। सूर्य के प्रकाश को उपस्थिति में हरे पौधे कार्बन डाई-ऑक्साइड तथा जल को ग्रहण कर अपना भोजन बनाते है। यह प्रक्रिया प्रकाश संश्लेषण कहलाती है। इसके अलावा सौर ऊर्जा का प्रयोग कई तरह से होता है जैसे सोलर कुकर का प्रयोग करके भोजन तैयार करना।

[D] भूमि - पृथ्वी का वह भाग जहाँ जल नहीं, होता है स्थल-मण्डल कहलाता है। भूमि पर पेड़-पौधे तथा जन्तु रहते हैं। यह ऐसा प्राकृतिक संसाधन है। जो हमें आश्रय देता है एवं समस्त जीवों के विकास के लिए आधार प्रदान करता है।
भूमि में मुख्यतः निम्नलिखित पदार्थ होते हैं -
(1) जल
(2) मिट्टी
(3) खनिज

मिट्टी - मिट्टी का निर्माण प्राकृतिक रूप से बहुत लम्बी अवधि ने चट्टानों के निरंतर क्षरण होते रहने से होता है। खनिज पदार्थ - वे पदार्थ जो जमीन अथवा धरातल से खोदकर निकाले जाते हैं खनिज पदार्थ कहलाते हैं। जिन स्थानों से इन्हें खोदकर निकाला जाता यह स्थान खान कहलाते हैं। पृथ्वी से निकलने वाले कुछ खनिज पदार्थ, ईंधन के रूप में प्रयोग किए जाते हैं जिन्हें खनिज ईंधन कहते हैं। जैसे - कोयला, पेट्रोलियम आदि।
कोयला पृथ्वी से प्राप्त होने वाला एक उपयोगी खनिज है। इसका उपयोग विभिन्न क्रियाकलापों में किया जाता है।
जैसे - (1) ईंधन के रूप में (पत्थर का कोयला, लकड़ी का कोयला, लकड़ी)
(2) रेल के इंजन में।
(3) जलयान में।
(4) कारखानों में
(5) ताप विद्युत केन्द्रों में।

टीप - [1] पेट्रोलियम पृथ्वी के गर्भ में पाया जाने वाला गाढ़े रंग का तरल खनिज पदार्थ होता है। इससे पेट्रोल, डीजल, मिट्टी का तेल (केरोसिन) ग्रीस, कोलतार आदि मिलता है।

[2] किसमें कितना जल (जल लगभग प्रतिशत (भार के अनुसार)
मनुष्य में - 70%
वृक्ष में - 40%
जलीय पौधों में - 90%
जलीय जीव (जैसे जेलीफिश में) - 90%
अंडे में - 95%
ककड़ी में - 95%

[3] भोपाल में यूनियन कार्बाइड कम्पनी के प्लान्ट में बेहद खतरनाक गैस रिसाव 3 दिसम्बर 1984 की मध्य रात्रि को हुआ था। जिसमें भारी जनहानि हुई थी। उस गैस का नाम मिथाइल आइसो सायनेट था।

[4] वायु प्रदूषण को कह करने में पौधों का विशेष महत्व होता है इनकी पत्तियाँ हानिकारक प्रदूषक को सोखकर वातावरण इनकी मात्रा को निरन्तर कम करती रहती है। इसलिए प्रदूषित क्षेत्रों, नगरों, मागी आदि किनारे, वृक्षारोपण करना लाभदायी होता हैं। [5] कोयले के धुएँ धूल से उत्पन्न प्रदूषण रोकने के लिए जंगल जलेबी नामक वृक्ष का सघन रोपण लाभकारी सिद्ध हुआ है।

प्रश्न (6) - वायु प्रदूषित करने वाले कारक और उसका मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव की जानकारी दीजिए।
उत्तर -

प्रदूषक कारक प्रदूषक स्त्रोत मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव
सल्फर डाइऑक्साइड तेल और कोयला उपयोग करने वाले उद्योगों से आँखों में तेज जलन, लाल होना, खाँसी आना एवं स्वसन पर दुस्प्रभाव
कार्बन मोनोऑक्साइड मोटर वाहनों और उद्योगों के धुँए से रक्त में ऑक्सीजन ग्रहण करने की क्षमता में कमी से घातक परिणाम
नाइट्रोजन के ऑक्साइड एवं हाइड्रोकार्बन कार, पेट्रोल से चलने वाले मोटर वाहनों के धुए से फेफड़ों की कार्य क्षमता में कमी एवं श्वास संबंधित बीमारियाँ होना
धूल कण तेज रफ्तार पेट्रोल-डीजल चलित वाहनों से आँख, नाक, कान, गले में जलन संबंधी रोग

प्रश्न (7) - हरितगृह क्या हैं? (ग्रीन हाउस इफेक्ट) इसे संक्षेप में समझाइए।
उत्तर - कार्बन-डाईऑक्साइड गैस वायु का एक सामान्य अवयव है। वायुमण्डल में इसकी मात्रा अधिक हो जाने से इसे प्रदूषक माना जाता है। कार्बन डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा कोयला, लकड़ी, तेल, पेट्रोलियम पदार्थ और गैसों को जलाने से बढ़ती है। कार्बन डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा पृथ्वी के चारों ओर एक ऐसा आवरण बना लेती है जिसमें से सूर्य से आने वाली किरणें प्रवेश तो कर लेती हैं किन्तु पृथ्वी से इस आवरण को भेद न पाने से परिवर्तित नहीं हो पाती, जिसके कारण पृथ्वी का वातावरण अधिक गर्म होकर जीवन को प्रभावित करता है। इससे ध्रुवों पर जमी हुई बर्फ के पिघलने से समुद्र तटीय क्षेत्रों में बाढ़ आने का खतरा बढ़ा है तथा पर्यावरण असंतुलन की स्थिति बन रही है जो कि ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम है।

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I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
edudurga.com

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