s

रूद्राक्ष क्या है? असली रूद्राक्ष की पहचान | रूद्राक्ष उत्पत्ति से संबंधित कथाएँ | इसके वैज्ञानिक पक्ष एवं इसे धारण करने से लाभ

   975   Copy    Share

रुद्राक्ष के बारे में सामान्य जानकारी

रुद्राक्ष एक संस्कृत शब्द है जो रुद्र और अक्ष दो शब्दों से मिलकर बना है। रुद्र का अर्थ है भगवान शिव और अक्ष का अर्थ है भगवान शिव के आँसू

रूद्राक्ष के वर्गीकरण का आधार― रुद्राक्षों को मुखों की संख्या के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है, जो एक से लेकर इक्कीस मुख तक हो सकते हैं।

Rudraksha tree and friuts

रूद्राक्ष उत्पत्ति से संबंधित कथाएँ

शिवपुराण से― शिव पुराण की ये पंक्तियाँ देखें―
भगवान शिव माता भवानी को कहते हैं―
हे महेशानि ! पूर्वकालकी बात है,
मैं मनको संयममें रखकर हजारों दिव्य वर्षांतक घोर तपस्यामें लगा रहा ॥५॥
हे परमेश्वरि ! मैं सम्पूर्ण लोकोंका उपकार करनेवाला स्वतन्त्र परमेश्वर हूँ।
[एक दिन सहसा मेरा मन क्षुब्ध हो उठा।]
अतः उस समय मैंने लीलावश ही अपने दोनों नेत्र खोले ॥६॥
नेत्र खोलते ही मेरे मनोहर नेत्रपुटोंसे कुछ जलकी बूँदें गिरीं।
आँसूकी उन बूँदोंसे वहाँ रुद्राक्ष नामक वृक्ष पैदा हो गये ॥७॥

अन्य कथाएँ― एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार माता सती ने जब हवनकुंड में कूद कर आत्मदाह कर लिया था और महादेव विचलित होकर उनके जले हुए शरीर को लेकर तीनों लोकों में विलाप करते हुए विचरण कर रहे थे। कहा जाता है शिव के विलाप के कारण जहाँ-जहाँ भगवान शिव के आँसू टपके वहाँ-वहाँ रूद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए।

देवी भागवत पुराण की कथा― त्रिपुरासुर नामक असुर को अपनी शक्ति का घमंड था जिस वजह से उसने देवताओं को त्रस्त करना आरंभ कर दिया। त्रिपुरासुर के सामने कोई देव या ऋषि मुनि भी नहीं टिक पाए। परेशान होकर ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवता भगवान शिव के पास त्रिपुरासुर के आतंक की समाप्ति की प्रार्थना लेकर गए। महादेव ने जब देवताओं का यह आग्रह सुन अपने नेत्र योग मुद्रा में बंद कर लीं। जिसके थोड़ी देर बाद भगवान शिव ने अपनी आँखें खोली तो उनकी आँखों से आँसू धरती पर टपके। मान्यता है कि जहाँ-जहाँ भगवान शिव के आँसू गिरे वहाँ-वहाँ रुद्राक्ष के वृक्ष उग गये। बाद में भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से राक्षस त्रिपुरासुर का वध कर पृथ्वी और देवलोक को उसके अत्याचार से मुक्त कराया। रुद्राक्ष का अर्थ है शिव का प्रलयंकारी तीसरा नेत्र। इसलिए इन वृक्षों पर जो फल आए उन्हें 'रुद्राक्ष' कहा गया।

रूद्राक्ष के वैज्ञानिक तथ्य एवं इसके महत्व―
जाबालोपनिषद, शिव पुराण, देवी पुराण और पद्म पुराण जैसे शास्त्रों में रुद्राक्ष के बीज के महत्व का बखान किया गया है। सामान्य तौर पर सभी देवताओं को रुद्राक्ष प्रिय होता है लेकिन ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को यह सबसे अधिक प्रिय है। आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान में रुद्राक्ष के बारे में सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। यह पाया गया है कि इसमें विद्युत चुम्बकीय गुण संग्रहित होते हैं, जो मानव शरीर क्रिया विज्ञान को प्रभावित करते हैं। प्रत्येक प्रकार के रुद्राक्ष का अपना प्रभाव और गुण होता है। लाभकारी परिणाम प्राप्त करने के लिए रुद्राक्ष को धारण किया जाता है। यह कई तरह के रोगों जैसे– मिर्गी, उच्च रक्तचाप, रक्तचाप, तनाव, काली खाँसी, घाव जैसी बीमारियों को ठीक करने में सहायक होता है। रुद्राक्ष धारण करने से न केवल भगवान शिव प्रसन्न होते हैं बल्कि भगवान विष्णु, दुर्गा, गणेश और नवग्रहों (नौ ग्रहों) का भी आशीर्वाद मिलता है।

रूद्राक्ष के अन्य नाम― रूद्राक्ष को हिन्दी, बंगाली, संस्कृत, भोजपुरी, गुजराती और पंजाबी में इसे 'रुद्राक्ष' के नाम से जाना जाता है। तमिल, कन्नड़ और तेलगु में इसे 'रुद्राक्ष कोटि', अंग्रेजी में 'Utrasum Bead' (अल्ट्रासम बीड) और लैटिन भाषा में इसे 'Elaeocarpus Ganitrub Roxb' (एलियोकार्पस गनीट्रब रॉक्स्ब) के नाम से जाना जाता है।

रूद्राक्ष कहाँ-कहाँ पाया जाता है?
रुद्राक्ष भारत, नेपाल, तिब्बत, इंडोनेशिया, सुमात्रा, चीन, जावा, मलेशिया, मेडागास्कर, प्रशांत आयरलैंड आदि में पाए जाते हैं। नेपाल में इसकी पैदावार बहुतायत में होती है।
हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार नेपाल का रुद्राक्ष दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। जिस घर में रुद्राक्ष की पूजा की जाती है, वहाँ धन की देवी हमेशा निवास करती हैं।

एक मुखी रूद्राक्ष और नेपाल राजपरिवार―
एक मुखी रुद्राक्ष राजपरिवार की संपत्ति माना जाता है। इसलिए इसे राष्ट्रीय खजाने में जमा किया जाता है। इसकी खरीदी-बिक्री करना दण्डनीय अपराध माना जाता है। अगर कोई इसे बेचने या खरीदने की हिम्मत करता है तो उसे दंडित किया जिता है।

रूद्राक्ष के कार्य―
रुद्राक्ष आपको जाने-अनजाने में किए गए सभी पापों से बचाता है। रुद्राक्ष आपकी आकांक्षाओं को पूरा करता है। यह अचानक मृत्यु को रोकता है। यह धारण करने वाले को चिंताओं से मुक्त करता है, देवताओं के क्रोध को शांत करता है, बीमारियों को दूर करता है और शुभता लाता है। यह घर में शांति लाता है और मानसिक शांति देता है।
यह व्यापार, धन और समृद्धि के लिए शुभ है। क्रोध और रक्तचाप को नियंत्रित करता है। प्रतिष्ठा, यश, नाम और प्रसिद्धि के लिए रुद्राक्ष धारण किये जाते हैं। यह धारण करने वाले की इच्छा शक्ति और स्मरण शक्ति को बढ़ाता है। यह उच्च रक्तचाप, पेट की बीमारी और प्रेत बाधा के लिए अत्यंत लाभकारी है। रुद्राक्ष को कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी आयु, लिंग और राशि का हो, धारण कर सकता है। यह धारण करने वाले को समस्याओं से मुक्त कराता है और संतान प्राप्ति कराता है। रुद्राक्ष कभी भी कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं डालता है; यह हर स्थिति में लाभकारी है। इसे धारण करने के बाद गर्भवती महिलाएँ सुरक्षित, संरक्षित महसूस करती है और किसी भी प्रकार के भय से मुक्त हो जाती है। रुद्राक्ष परिवार में एकता लाता है और आपसी प्रेम, स्नेह और सम्मान को बढ़ाता है। यह व्यक्तित्व के आकर्षण को बढ़ाता है। रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रिय आभूषण है। एक मुखी रुद्राक्ष में उपरोक्त सभी गुण होते हैं।

रुद्राक्ष के बारे में आम मिथक― 1. क्या असली रुद्राक्ष पानी पर तैरता है?
उत्तर― यह आम धारणा है कि ओरिजनल रूद्राक्ष पानी में डूब जाता है। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि जो पानी के उपर तैर रहा है तो वह डुप्लीकेट रूद्राक्ष है। जो रूद्राक्ष पानी के उपर तैरता है संभवतः वह कच्चा फल होता है उसे परिपक्व होने से पहले ही तोड़ लिया जाता है। असली या नकली रूद्राक्ष का पता लगाने का केवल एक ही तरीका है और वह है रूद्राक्ष का एक्सरे कराना। जैसा कि नीचे के चित्र में दिखाया गया है।

रूद्राक्ष के एक्सरे इमेज

2. क्या मांसाहारी लोग रुद्राक्ष पहन सकते हैं?
उत्तर― हाँ पहन सकते हैं किंतु मांसाहार करते समय उतारकर रख दिया जाता है। दूसरे दिन नहा-धोकर पुनः धारण किया जा सकता है।

3. क्या महिलाएँ रुद्राक्ष धारण कर सकती हैं?
उत्तर― हाँ, धारण कर सकती हैं।

4. क्या बच्चे रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं?
उत्तर― हाँ, धारण कर सकते हैं।

5. क्या हमें नहाते समय रुद्राक्ष उतार देना चाहिए?
उत्तर― यदि धारण करने वाला व्यक्ति साबुन इत्यादि जैसे केमिकल युक्त प्रसाधन सामग्री का प्रयोग करता हो तो उतारकर नहाना चाहिए। किंतु केवल सामान्य ठंडा या गर्म जल से ही नहा रहे हो तो धारण किये हुये भी नहा सकते हैं।

6. हमें रुद्राक्ष क्यों पहनना चाहिए?
उत्तर― चहुँमुखी विकास के लिए, रोग-दोष की मुक्ति के लिए, सदैव प्रसन्न रहने के लिए। इसके अलावा इसको धारण करने से हजारों लाभ होते हैं।

रूद्राक्ष के आम कार्य व उपयोग―
1. रूद्राक्ष धारण करने वाले की आभा (Aura) को साफ करता है।
2. ये धारण करने वाले के शरीर को संतुलित करता है।
3. चहुंमुखी विकास करने में मदद करता है।
4. नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा प्रदान करता है। अर्थात एक शील्ड या कवच भी भॉंति कार्य करता है।
5. इसका प्रयोग डाउजिंग (रस्सी से लटकाकर प्रश्नों से जिज्ञासा शांत करने की विधा) के लिए उपयोग किया जाता है।

रुद्राक्ष के प्रकार―
1. एक से इक्कीस मुखी रुद्राक्ष
2. गौरी शंकर रुद्राक्ष
3. गणेश रुद्राक्ष
4. त्रिजुटी रुद्राक्ष
5. गर्भ गौरी
6. सवार रूद्राक्ष

एक मुखी रुद्राक्ष

1. एक मुखी रुद्राक्ष के देवता ― भगवान शिव / परम शिव।
(टीप― अलग अलग मुखी रूद्राक्ष अलग अलग देवताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।)
2. जोड़ने वाला ग्रह― सभी ग्रह
3. मानव शरीर का चक्र― आज्ञा चक्र
4. अंक ज्योतिष के अनुसार नंबर― 1
5. एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने हेतु बीज मंत्र: ― ओम ह्रीं नमः
6. शरीर के किस ग्रंथि को दुरुस्त करता है?― पीनियल, पिट्यूटरी, हाइपोथैलेमस ग्रंथियाँ।

एक मुखी रुद्राक्ष के लाभ― यह भगवान शिव का प्रतिनिधित्व करता है और इसके धारक को भगवान शिव की सभी सिद्धियाँ और दिव्य शक्तियाँ प्राप्त होती हैं। सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष का स्वामी ग्रह सूर्य है। यह सूर्य के अशुभ प्रभावों को नियंत्रित करता है और दाहिनी आँख, सिर, कान, आंत और हड्डियों के रोगों को ठीक करता है। मनोवैज्ञानिक रूप से व्यक्ति का आत्मविश्वास, करिश्मा, नेतृत्व गुण और समृद्धि बढ़ती है क्योंकि इसे पहनने वाले को सूर्य की कृपा मिलनी शुरू हो जाती है। यह आपको अपार शक्ति, धन, विलासिता, प्रसिद्धि, आत्मविश्वास में भारी वृद्धि और आध्यात्मिक समृद्धि प्रदान करता है। यह सभी अन्य रुद्राक्ष बीजों में सर्वश्रेष्ठ है। यह सभी सांसारिक सुख देता है और जीवन में पूर्णता प्राप्त करने में मदद करता है। यह भगवान रुद्र का प्रतीक है। यह भक्तों को समृद्धि प्रदान करता है। यह राजा जनक (सीता के पिता) की तरह धन, भाग्य, अच्छा जीवन और अंतिम मुक्ति का वादा करता है। डॉक्टरों, राजाओं आदि के लिए उत्कृष्ट है। इसमें धारण करने वाले के पापों को मिटाने की शक्ति है। इसे धारण करने वाले को आर्थिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता।
इस तरह एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से आत्मा और ईश्वर के बीच संबंध स्थापित करता है, यह भगवान शिव की ऊर्जा को नियंत्रित करता है, इसलिए यह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिलाता है। आध्यात्मिक और भौतिक संतुष्टि का अनुभव कर सकते हैं, मोक्ष पाने का माध्यम होता है। एक मुखी रुद्राक्ष व्यक्ति में निडरता, मानसिकता / विचार, भौतिक दुनिया से अलगाव, निर्वाण, विचार, भौतिक दुनिया से अलगाव लाता है। धारण करने वाले को यदि माइग्रेन, ऑटिज्म, चिंता, अवसाद, अन्य मानसिक बीमारियों की समस्या है तो इसे धारण करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। उक्त विकारो से मुक्ति हेतु चांदी का कटोरा लेकर गंगाजल में पूरी रात रखते हैं और सुबह उठकर उस पानी को पी लेते हैं। ऐसा 41 दिनों तक पीने पर उक्त व्याधियों से छुटकारा मिल जाता है।



आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।
(I hope the above information will be useful and important. )
Thank you.

R. F. Tembhre
(Teacher)
edudurga.com


अन्य महत्वपूर्ण जानकारी से संबंधित लिंक्स👇🏻

इस 👇 बारे में भी जानें।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी श्रीकृष्ण जी के 108 नाम एवं मंत्र

इस 👇 बारे में भी जानें।
Email और Gmail में क्या अन्तर है

इस 👇 बारे में भी जानें।
लॉकडाउन क्या है? इसके लाभ और हानि

इस 👇 बारे में भी जानें।
मोगली की कहानी- मोगली लैण्ड सिवनी

इस 👇 बारे में भी जानें।
एतिहासिक पर्यटन स्थल- आष्टा का महाकाली मंदिर

इस 👇 बारे में भी जानें।
मध्य प्रदेश के प्रमुख स्थल एवं उनकी प्रसिद्धि के कारण

इस 👇 बारे में भी जानें।
उम्मीदवारों (अभ्यर्थियों) के लिए आदर्श आचरण संहिता के मुख्य बिन्दु।

इस 👇 बारे में भी जानें।
विश्व साइकिल दिवस 3 जून

इस 👇 बारे में भी जानें।
SC एवं ST वर्ग में सम्मिलित जातियाँ

इस 👇 बारे में भी जानें।
म.प्र. की जातियाँ एवं उनके परम्परागत व्यवसाय (काम-धन्धे) - पिछड़ा वर्ग संवर्ग

इस 👇 बारे में भी जानें।
स्कूलों में विद्यार्थी सुरक्षा आदेश

इस 👇 बारे में भी जानें।
ICT के अन्तर्गत उपकरण एवं उनका उपयोग

इस 👇 बारे में भी जानें।
दिव्यांगता एवं उसकी पहचान एवं लक्षण

इस 👇 बारे में भी जानें।
आकाशीय बिजली (वज्रपात) के प्रकार एवं प्रभाव

इस 👇 बारे में भी जानें।
मध्यप्रदेश शासन हितग्राही मूलक योजनाएँ

इस 👇 बारे में भी जानें।
हेलो का अर्थ इसकी उत्पत्ति और इतिहास

इस 👇 बारे में भी जानें।
राष्ट्र भक्ति गीत

इस 👇 बारे में भी जानें।
नगरीय संस्थाएँ― नगर पंचायत, नगरपालिका व नगर निगम, इनके कार्य एवं आय के साधन

इस 👇 बारे में भी जानें।
Website क्या होती है?

इस 👇 बारे में भी जानें।
11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस

इस 👇 बारे में भी जानें।
राष्ट्रभक्ति गीत - 1

इस 👇 बारे में भी जानें।
राष्ट्रभक्ति गीत - 2

इस 👇 बारे में भी जानें।
राष्ट्र भक्ति गीत - 3

इस 👇 बारे में भी जानें।
गणतंत्र दिवस के लिए विद्यार्थियों हेतु भाषण

इस 👇 बारे में भी जानें।
भाषण कैसे दे? भाषण के मुख्य अंश क्या हों?

Comments

POST YOUR COMMENT

Recent Posts

रामनवमी विशेष - राम रक्षा स्तोत्र (हिन्दी अनुवाद सहित)- श्री राम पूजन विधान, राम रक्षा कवच, राम स्तुति, राम चालीसा एवं आरती

अगले 4 दिन तक होली चलेगी। संत प्रेमानंद महाराज जी के संदेश की तीन बातें | होलिका दहन का मुहूर्त

वार्षिक परीक्षा 2025 अभ्यास प्रश्न पत्र विषय संस्कृत कक्षा 8वीं | Sanskrit Solved Practice Paper

Subcribe